Thursday, October 30, 2008

प्रकृति

प्रकृति क्या हे ?
सब से प्रथम शब्दार्थ पर ध्यान देना चाहिए , प्रकृति शब्द प्र-कृति के योग से बना हे
शब्दशास्त्र के अनुसार प्र शब्द गति करने में आता हे और कृति शब्द कारण और हिंसा में आता हे
अतः आलोकिक क्रिया या प्रथम क्रिया को प्रकृति कहते हें
निष्कर्ष यह हे कि एक असाधारण कार्य जो सृष्टि के आदिकाल से चला आता हे उसे प्रकृति कहते हे , कोशकारों के अनुसार प्रधान को भी प्रकृति कहते हें , ये दोनों माया के नाम भी हें , प्रधान शब्द , प्रकृति , बुद्धि , उत्तम तथा परमात्मा वाचक हे , अतः आत्मा में जो सब कुछ रखे वह प्रधान कहलाता हे ! आत्मा से शरीर ,यत्न ,स्वभाव , परमात्मा , मन , धृति ,बुद्धि , परावर्तन आदि अर्थों का बोध होता हे , यही कारण हे कि आज हम प्रकृति के जानने में बहुत ही भटके हुए हें क्योंकि यह शब्द नाना अर्थो में उपयुक्त हुआ हे ! भागवत के अनुसार त्रिगुनस्वरूप , सर्वशक्ति , युक्त सृष्टि करने में प्रधान जो देवी ( शक्ति) हे वह प्रकृति कहलाती हे ! प्र का अर्थ आदि में सृश्तिवाचक ही कृति हे ! सृष्टि कि आदि कर्ता देवी को ही प्रकृति कहा गया हे ! इसी के अनुरूप अर्थ कर्ता हुआ ब्रह्म्वैव्रत्पुरण कहता हे कि प्र शब्द असाधारण का सूचक हे ! कृति शब्द सृष्टि वाचक हे ! सृष्टि करने में असाधारण देवी (शक्ति) को प्रकृति कहा हे ! प्रकृष्ट सत्वातमक गुण में प्र शब्द वेद में आया हे! कृ शब्द रजोगुण और ति शब्द तमो गुण के बोध कराने वाले हें ! अर्थात सत्व , रज , तम यह तीन गुण जिसमे हों वह प्रकृति कहलाती हे ! रज, तम से युक्त हुआ मन ही सत्व संज्ञक होता हे ! यही सत्व संज्ञक मन शरीर और रोगों की उत्पत्ति में कारण हे ! अतः मन ही प्रकृति और प्रकृति ही मन हे ! अब हम मन के बारे में विस्तार से जानेगे ! अंग्रेजी में मनुष्य को (MAN) मैन कहते हें , परन्तु यह (MAN) मन भी पढ़ा जा सकता हे ! और यह वास्तव में हे भी मन ही ! क्योंकि अंग्रेजी में मन भी इसी तरह लिखा जाता हे ! ऐसा मालूम होता हे की किसी समय अंग्रेजी में मन लिखा गया जो देश काल जलवायु आदि की भिन्नता के कारण इस मन शब्द को मैन पढ़ा जाने लगा ! मन , मनु , और मनुष्य ये तीनो शब्द एक ही धातु से निकले हें !

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